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प्रेरक वचन भाग 5 (Motivational quotes in hindi)


१)   सबसे बडा मंत्र है कि अपने मन की बात और भेद  दूसरे को न बताओ। अन्यथा विनाशकारी परिणाम होंगे।

(२) व्यक्ति को जरूरत से ज्यादा ईमानदार नहीं होना चाहिये। सीधे तने के  पेड सबसे पहिले काटे जाते हैं। ईमानदार आदमी को मुश्किलों में फ़ंसाया जाता है।

(३) अगर कोई सांप जहरीला नहीं हो तो भी उसे फ़ूफ़कारते रहना चाहिये। आदमी कमजोर हो तो भी उसे अपनी कमजोरी का प्रदर्शन नहीं करना चाहिये

(४) मित्रता में भी कुछ न कुछ स्वार्थ तो होता ही है। स्वार्थ रहित मित्रता असंभव है।

(५)  कोइ भी काम शुरु करने से पहिले अपने आप से तीन प्रश्न पूछें। मैं यह काम क्यों कर रहा हूं? इस कार्य का क्या परिणाम होगा? और क्या मुझे इसमें सफ़लता हासिल होगी?

(६) संसार मे सर्वाधिक शक्ति युवावस्था और नारी के सौंदर्य में होती है।

(७) क्रोध यमराज के समान है,उसके कारण मनुष्य मृत्यु की गौद में चला जाता है। तृष्णा वैतरणी नदी के समान है जिसके कारण मनुष्य को सदैव कष्ट झेलने पडते हैं।

(८) विद्या कामधुनु के समान है। व्यक्ति विद्या हासिल कर उसका फ़ल कहीं भी प्राप्त कर सकता है।

(९) संत्तोष नंदन वन के समान है। मनुष्य इसे अपने में स्थापित करले तो उसे वही शांति मिलेगी जो नंदन वन में रहने से मिलती है।

(१०) झूठ बोलना,उतावलापन दिखाना,दुस्साहस करना,छलकपट करना,मूर्खता पूर्ण कार्य करना,लोभ करना,अपवित्रता और निर्दयता ये सभी स्त्रियों के स्वाभाविक दोष हैं।

(११) भोजन के लिये अच्छे पदार्थ उपलब्ध होना ,उन्हें पचाने की  शक्ति होना,सुंदर स्त्री के साथ संसर्ग करने की काम शक्ति होना,प्रचुर धन के साथ दान देने की इच्छा होना, ये सभी सुख मनुष्य को बडी कठिनाई से प्राप्त होते हैं।

(१२) जो मित्र आपके सामने चिकनी-चुपडी बातें करता हो और पीठ पीछे आपके काम बिगाड देता हो उसे त्यागने में ही भलाई है।वह उस बर्तन के समान है जिसके बाहरी हिस्से पर दूध लगा हो लेकिन अंदर विष भरा हो।

(१३) वे माता-पिता अपने बच्चों के लिये शत्रु के समान हैं,जिन्होने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दी। क्योंकि अनपढ बालक का विद्वानों के समूह में उसी प्रकार अपमान होता है जैसे हंसों के समूह में बगुले की स्थिति होती है। शिक्षा- विहीन मनुष्य बिना पूंछ के जानवर जानवर जैसा होता है।

(१४)  मित्रता बराबरी वाले व्यक्तियों में करना ठीक होता है। सरकारी नौकरी सर्वोत्तम होती है।अच्छे व्यापार के लिये व्यवहार कुशलता आवश्यक है।सुन्दर और सुशील स्त्री घर में ही शोभा देती है।

(१५)  जिस प्रकार पत्नि के वियोग का दु:ख,अपने भाई बंधुओं से प्राप्त अपमान का दुख असहनीय होता है,उसी प्रकार कर्ज से दबा व्यक्ति भी सदैव दुखी रहता है।दुष्ट राजा की सेवा मे रहने वाला नौकर भी दुखी रहता है।

(१६) मूर्खता के समान योवन भी दुखदायी होता है क्योंकि जवानी में व्यक्ति कामवासना के वशीभूत होकर गलत मार्ग पर चल देता है।

(१७) जो व्यक्ति अच्छा मित्र न हो उस पर विश्वास मत करो लेकिन अच्छे मित्र पर भी पूरा भरोसा नहीं करना चाहिये क्योंकि कभी वह नाराज हो गया तो आपके सारे भेद खोल सकता है ।इसलिये हर हालत में सावधानी बरतना आवश्यक है।

१८) ऋण, शत्रु  और रोग को समाप्त कर देना चाहिए।

१९) सिंह भूखा होने पर भी तिनका नहीं खाता।

२०) वन की अग्नि चन्दन की लकड़ी को भी जला देती है अर्थात दुष्ट व्यक्ति किसी का
भी अहित कर सकते है।

२१) आपातकाल में स्नेह करने वाला ही मित्र होता है।

२२) विद्या को चोर भी नहीं चुरा सकता।

२३) एक बिगड़ैल गाय सौ कुत्तों से ज्यादा श्रेष्ठ है।  अर्थात एक विपरीत स्वाभाव का परम हितैषी व्यक्ति,
उन सौ लोगों से श्रेष्ठ है जो आपकी चापलूसी करते है।

२४) सांप को दूध पिलाने से विष ही बढ़ता है, न की अमृत।

२५)  लोहे को लोहे से ही काटना चाहिए।

२६) यदि स्वयं के हाथ में विष फ़ैल रहा है तो उसे काट देना चाहिए।

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