Best Shayari Of Dr Rahat Indori Sahab / Dr. Rahat Indori Famous Shayari

Rahat Indori (born 1 January 1950) is an Indian Bollywood lyricist and Urdu language poet. He is also a former professor of Urdu language and a painter.[2] Prior to this he was a pedagogist of Urdu literature at Indore University.

Early life and education
Rahat Qureshi, later known as Rahat Indori, was born on 1 January 1950 in Indore to Rafatullah Qureshi, a cloth mill worker, and his wife Maqbool Un Nisa Begum. He was their fourth child. He did his schooling from Nutan School Indore from where he completed his Higher Secondary. He completed his graduation from Islamia Karimia College, Indore in 1973 and has passed his MA in Urdu literature from Barkatullah University Bhopal (Madhya Pradesh) in 1975. Rahat was awarded a PhD in Urdu literature from the Bhoj University of Madhya Pradesh in 1985 for his thesis titled Urdu Main Mushaira.

डाॅ. राहत इंदौरी के शेर हर लफ्ज के साथ मोहब्बत की नई शुरुआत करते हैं, यही नहीं वो अपनी ग़ज़लों के जरिए हस्तक्षेप भी करते हैं। व्यवस्था को आइना भी दिखाते हैं। शारों शायरी की इस कड़ी में आज हम पाठकों के लिए पेश कर रहे हैं डाॅ. राहत इंदौरी के कुछ चुनिंदा शेर-

ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे
जो हो परदेस में वो किससे रज़ाई मांगे

तूफ़ानों से आँख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो
मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो

अपने हाकिम की फकीरी पे तरस आता है
जो गरीबों से पसीने की कमाई मांगे

फूलों की दुकानें खोलो, खुशबू का व्यापार करो
इश्क़ खता है तो, ये खता एक बार नहीं, सौ बार करो

जुबां तो खोल, नजर तो मिला, जवाब तो दे
मैं कितनी बार लुटा हूँ, हिसाब तो दे

बहुत हसीन है दुनिया

आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो

उस आदमी को बस इक धुन सवार रहती है
बहुत हसीन है दुनिया इसे ख़राब करूं

बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियां उड़ जाएं

मैं बच भी जाता तो...


किसने दस्तक दी, दिल पे, ये कौन है
आप तो अन्दर हैं, बाहर कौन है

ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था
मैं बच भी जाता तो एक रोज मरने वाला था

मेरा नसीब, मेरे हाथ कट गए वरना
मैं तेरी माँग में सिन्दूर भरने वाला था

कोशिश तो रोज़ करते हैं के वक़्त से समझौता कर लें...!! 
कम्बख़्त दिल के कोने में छुपी उम्मीद मानती ही नहीं ...!!

तन्हाई से तंग आकर हम मोहब्बत की तलाश में निकले थे...
लेकिन मोहब्बत ऐसी मिली कि और तन्हा कर गयी..

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