भगवान श्री कृष्ण के प्रेरक वचन Shri Krishna Motivational Quotes

भगवान श्रीकृष्ण जी हाँ प्यार से कान्हा, कन्हैया और भी बहुत से ऐसे नाम थे जोकि उनके सगे संबंधी लेकर पुकारा करते थे और साथ ही साथ उन्हें छलिया भी कहा जाता था आज हम उन्ही विंष्णु अवतार श्री कृष्ण के shri krishna motivational quotes in hindi में जानेंगे.

श्री कृष्ण हिन्दू धर्म में एक अवतार लेकर पैदा हुए थे वे श्री विष्णु भगवान के अवतार थे उनका जन्म मथुरा कि जेल में हुआ था और वो देवकी वासुदेव यादव की 8 बी संतान थी उनके माता पिता को उनके मामा कंस ने जेल में बंदी बनाकर रखा था.

क्योंकि कंस को पता था कि उसकी मौत का कारण खुद उसकी बहन कि औलाद ही बनेगी इसलिए उसने अपने बहनोई और बहन को कारावास में डाल दिया और वहाँ कड़ा पहरा लगा कर रखा और कहा इनकी कोई भी संतान जिन्दा नहीं रहनी चाहिए.

लेकिन होनी को कौन टाल सकता है कन्हैया ने देवकी और वासुदेव की आठवी संतान के रूप में जन्म लिया वे विष्णु के अवतार थे वैसे तो सनातन धर्म के अनुसार भगवान विष्णु सर्वपापहारी पवित्र और समस्त मनुष्यों को भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाले प्रमुख देवता हैं.

जब कभी भी इस संसार को पृथ्वी लोक पर असुर एवं राक्षसों के पापों का आतंक व्याप्त होता है तब-तब भगवान विष्णु किसी न किसी रूप में अवतार लेकर पृथ्वी के भार को कम करते हैं और बुरे लोगो का नाश करते है.

वैसे तो भगवान विष्णु ने अभी तक तेईस अवतारों को धारण किया इन अवतारों में उनके सबसे महत्वपूर्ण अवतार श्रीराम और श्रीकृष्ण के ही माने जाते हैं इन्होंने एक मानव रूप में जन्म लिया और असुर एवं राक्षसों का संहार किया.

श्रीकृष्ण का जन्म यदुवंशी क्षत्रिय कुल में राजा वृष्णि के वंश में हुआ था आइये जानते है श्री कृष्ण के motivational thoughts जो आपको बहुत पसंद आएंगे और आपको प्रेरित भी करेंगे क्योंकि ये विचार कान्हा ने महाभारत के रणक्षेत्र में अर्जुन को सुनाये थे.

1 भगवान ने खुद कहा है की सदैव संदेह (सक करने वाले) करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता ना इस लोक में है ना ही कहीं और वह जहा जाता है दुःख पाता है.

2 क्रोध से भ्रम पैदा होता है भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है इसीलिएअपने आप पर भरोसा रखे.

3 मन की गतिविधियों, होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है और लगातार तुम्हे बस एक साधन की तरह प्रयोग कर के सभी कार्य कर रही है इसे उनका आशिर्वाद समझे.

4 ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान और कर्म को एक रूप में देखता है वही सही मायने में देखता है.

5 जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है और उन्हें नष्ट कर देता है सक्सेस के लिए फोकस जर्रूरी होता है Focus Key to Success.

6 अपने अनिवार्य कार्य करो क्योंकि वास्तव में कार्य करना निष्क्रियता से बेहतर है.

7 मनुष्य अपने खुद के विश्वास से निर्मित होता है जैसा वो विश्वास करता है वैसा वो बन जाता है.

8 इस दुनिया में नर्क के तीन रास्ते है वासना, क्रोध और लालच.

9 इस जीवन में ना कुछ खोता है ना व्यर्थ होता है.

10 मन अशांत है और उसे नियंत्रित करना कठिन है लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है.

11 लोग आपके अपमान के बारे में हमेशा बात करेंगे सम्मानित व्यक्ति के लिए अपमान मृत्यु से भी बदतर है.

12 प्रबुद्ध व्यक्ति के लिए गंदगी का ढेर, पत्थर, और सोना सभी समान हैं.

13 निर्माण केवल पहले से मौजूद चीजों का प्रक्षेपण है.

14 व्यक्ति जो चाहे बन सकता है यदी वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करे.

15 उससे मत डरो जो वास्तविक नहीं है ना कभी था ना कभी होगा जो वास्तविक है वो हमेशा था और उसे कभी नष्ट नहीं किया जा सकता ये सत्य है.

16 ज्ञानी व्यक्ति को कर्म के प्रतिफल की अपेक्षा कर रहे अज्ञानी व्यक्ति के दीमाग को अस्थिर नहीं करना चाहिए.

17 हर व्यक्ति का विश्वास उसकी प्रकृति के अनुसार होता है अपना व्यव्हार अच्छा करे क्योंकि सफलताओं के बीज प्रत्येक के अन्दर हैं

18 जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है जितना कि मृत होने वाले के लिए जन्म लेना इसलिए जो अपरिहार्य है उस पर शोक मत करो.

19 अप्राकृतिक कर्म बहुत तनाव पैदा करता है.

20 सभी अच्छे काम छोड़ कर बस भगवान में पूर्ण रूप से समर्पित हो जाओ मैं तुम्हे सभी पापों से मुक्त कर दूंगा शोक मत करो.

21 किसी और का काम पूर्णता से करने से कहीं अच्छा है कि अपना काम करें भले ही उसे अपूर्णता से करना पड़े.

22 मैं उन्हें ज्ञान देता हूँ जो सदा मुझसे जुड़े रहते हैं और जो मुझसे प्रेम करते हैं.

23 मैं सभी प्राणियों को सामान रूप से देखता हूँ ना कोई मुझे कम प्रिय है ना अधिक लेकिन जो मेरी प्रेमपूर्वक आराधना करते हैं वो मेरे भीतर रहते हैं और मैं उनके जीवन में आता हूँ.

24 प्रबुद्ध व्यक्ति सिवाय ईश्वर के किसी और पर निर्भर नहीं करता.

25 मेरी कृपा से कोई सभी कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए भी बस मेरी शरण में आकर अनंत अविनाशी निवास को प्राप्त करता है.

26 हे अर्जुन, केवल भाग्यशाली योद्धा ही ऐसा युद्ध लड़ने का अवसर पाते हैं जो स्वर्ग के दरवाजो के सामान है.

27 बुद्धिमान व्यक्ति कामुक सुख में आनंद नहीं लेता.

28 तुम उसके लिए शोक करते हो जो शोक करने के योग्य नहीं हैं और फिर भी ज्ञान की बाते करते हो बुद्धिमान व्यक्ति ना जीवित और ना ही मृत व्यक्ति के लिए शोक करते हैं.

29 हे अर्जुन, हम दोनों ने कई जन्म लिए हैं मुझे याद हैं लेकिन तुम्हे नहीं.

30 अपने परम भक्तों जो हमेशा मेरा स्मरण या एक-चित्त मन से मेरा पूजन करते हैं मैं व्यक्तिगत रूप से उनके कल्याण का उत्तरदायित्व लेता हूँ.

कैसे लगे आपको Lord Sri Krishna जी के प्रेरक विचार हमे कमेंट करके जरूर बताये. धन्यवाद

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